यीशु ने कहा केवल परमेश्वर उत्तम है | STAND for SATYA

हम एक और वचन को देखने जा रहे है जो मुस्लिम हमेशा इस्तेमाल करते है यह साबित करने के लिए की यीशु परमेश्वर नही है। तो आइए देखते है उस वचन को: मरकुस 10: 17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूं? 18 यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात परमेश्वर। कई बार मुस्लिम इस वचन को उठाकर यह साबित करने का कोशिश करते है कि यीशु परमेश्वर नही है। पर क्या ऐसा है? आइये देखते है हम: यहाँ वो नौजवान आकर यीशु को कहता है कि मैं क्या करूँ अनन्त जीवन का अधिरकारी होने के लिए। यहाँ यह नौजवान एक चापलूसी की तरह बोल रहा है जैसे एक चापलूसी करने वाला अच्छा बोल कर अच्छा सुनना चाहता है। वो उत्तम इसलिए कहता है कि वो खुद को दिखाना चाहता है कि वो भी उत्तम है। और यीशु जो मन की बातों को जानते है वो उसको कहते है तू क्यों मुझे उत्तम कहता है उत्तम केवल परमेश्वर है। और यहाँ यीशु एक मनुष्य की तरह एक सेवक की तरह बता रहे है की कोई भी मनुष्य या रब्बी अर्थात गुरु उत्तम नही है। जैसे कई फरीसी थे जो दूसरों से प्रसंसा पाने और सड़कों पे लोगो से रब्बी सुन खुश होते थे मत्ती 23: 6 जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन। 7 और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है। यीशु सेवा लेने नही सेवा करने आये थे वो लोगो से अपनी प्रसंसा की इच्छा नही रखते थे पर फरीसी लोग केवल प्रसंसा पाने के लिए रहते थे। मत्ती 20: 28 जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे॥ पिता परमेश्वर खुद महिमा करते है पुत्र की। यूहन्ना 17 5 और अब, हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत के होने से पहिले, मेरी तेरे साथ थी। आगे यीशु उस नौजवान को कहते है कि जो नियम दिया गया है उसका पालन कर। यहाँ यीशु यह नही कह रहे थे कि व्यवस्था मानने से अनन्त जीवन मिलेगा पर वो उसको एक फरीसी की तरह बता रहे थे जैसे फरीसी बताते या सिखाते थे और वो नौजवान भी कई बार सुन चुका था। और यह सुनते ही खुशी में वो कहता है कि मैं तो बचपन से यह करता आया हूँ वो नौजवान जनता था कि आज्ञा पालन वो करता आया है और अनन्त जीवन का वो अधिकारी होने बिल्कुल लायक है। पर अब आगे यीशु उसको असल बात बताते है कि जा अपनी सम्पति लोगो मे बाट दे मेरे पीछे हो ले। उसने यीशु को जो उत्तम गुरु कहा अब उसका अर्थ समझ पाया और प्रभु यीशु ने बिना प्रसंसा लिए बिना उन्होंने एक सच्चे उत्तम गुरु की तरह उस नौजवान की कमी उसको दिखा दिया की वो धन दौलत के प्रेम में डूबा हुआ है। और आगे हम देखते है वो नौजवान वहाँ से चला जाता है क्योंकि उसको अपने धन दौलत से प्रेम था वो अपने धन से जरूरतों की मदद कर प्रभु यीशु के पीछे होना नही चाहा। (निष्कर्ष: यहाँ यीशु मनुष्य की तरह सच्चे सेवक की तरह यह बताया कि उत्तम केवल परमेश्वर है वो अपनी महिमा पाने नही आये थे सेवा लेने नही आये थे सेवा करने आये थे। और पिता परमेश्वर खुद पुत्र की महिमा करते है। यीशु ने उस नौजवान को सच्चे उत्तम गुरु का मतलब और उसकी गलती उसको दिखाया।) GOD BLESS YOU Abhishek Vical

Post a Comment

2 Comments