क्रिश्चियनिटी भारत मे कैसे आया | Stand for Satya

 



कई मसीही लोग है जो नही जानते है की क्रिश्चियनिटी भारत मे कैसे आया। गैर मसीही लोग भी नही जानते है और कुछ जानते भी है तो वो गलत ही जानते है। जैसे कई यह कहते है कि ब्रिटिश जो थे वो क्रिश्चियनिटी को भारत मे लेकर आये है उन्होंने ही सुरुवात किया। पर यह बिल्कुल गलत है। तो फिर क्रिश्चियनिटी आया कैसे भारत मे? क्या आपको पता है कि क्रिश्चियनिटी भारत मे यीशु मसीह के 12 प्रेरित में से एक प्रेरित थॉमस ने लाया है जी हाँ यीशु मसीह के प्रेरित थॉमस ने भारत मे क्रिश्चियनिटी को लाया है। तो आइये जानते है प्रेरित थॉमस के बारे और वो भारत मे कहा पर आए और क्या क्या किया।

प्रेरित थॉमस के बारे बाइबिल में नई नियम की पुस्तक के सुसमाचार की पुस्तक में जिक्र 

चारों सुसमाचारों की पुस्तक में प्रेरित थॉमस का जिक्र है पर तीन सुसमाचार ( मत्ती 10:3 , मरकुस 3:18 , लुका 6 ) में प्रेरित थॉमस के बारे ज्यादा बाते नही है। वही चौथे सुसमाचार की पुस्तक युहन्ना में हमे ज्यादा जिक्र मिलता है, तो आइए देखते है।

1) प्रेरित थॉमस एक वफ़ादार अनुयायी 

  जब यीशु यहूदिया चलने के लिये अपने चेलों को कहते है क्योंकि लाज़र को मरे चार दिन हो चुके थे। पर चेले डर रहे थे क्योंकि यहूदिया ज्यादा दूर नही था यरूसलेम से जहाँ यहूदी उससे खोज रहे थे पथराव करने के लिए उसे पकड़वाने के लिए।

पर हम देखते है प्रेरित थॉमस डरते नही है मरने के लिए भी तयार रहते है और कहते है कि आओ हम भी उसके साथ मरने चले।

युहन्ना 11

16 तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।

2) प्रेरित थॉमस एक जिज्ञासु विद्यार्थी 

जब प्रेरित थॉमस कहता है कि प्रभु हम कैसे जाने की तू कहाँ जाता है और हम उस मार्ग को कैसे जाने? तब प्रभु यीशु उसको बताते है और सचाई प्रकट करते है कि मैं ही मार्ग सत्य और जीवन हूँ बिना मेरे कोई पिता के पास नही जा सकता है।

युहन्ना 14

थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू हां जाता है तो मार्ग कैसे जानें?
यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।

3) प्रेरित थॉमस सन्देह करने वाला प्रेरित

अंतिम और सबसे प्रसिद्ध वाक्य प्रेरित थॉमस के जब यीशु मसीह के पुनरुत्थान के बाद चलो को दिखाई देते है। तब प्रेरित थॉमस सन्देह कर कहते है जब तक मैं प्रभु के हथेली के छेदो पे अपनी उंगली दाल न देखलूँ विस्वास न करूँगा। और प्रभु आकर उसको दिखाते है और तब वो विस्वास कर दण्डवत कर सुंदर अंगीकार कर कहता है " हे मेरे प्रभु हे मेरे परमेश्वर "


प्रेरित थॉमस का भारत आना


प्रेरित थॉमस यीशु मसीह के पुनरुथान के बाद वो यरूसलेम से दक्षिण भारत मे आये समुन्द्र के रास्तें से, वो 52 सदी में कोडंगलूर में पहली कदम रखा जो कि केरल का एक जगह है।वहाँ पर उन्होंने सेवकाई सुसमाचार प्रचार किया और कई लोगो ने प्रभु यीशु पर विस्वास किया। 

और प्रेरित थॉमस ने वहाँ पर सात और उससे ज्यादा कलीसिया की स्थापना की।


1) कोडंगलूर

2) कोल्लम

3) नीरानम

4) निलक्कल

5) कोकमंगलम

6) परुर

7) पलयुर

और कुछ कलीसिया थिरुवीठुमकोड में।


प्रेरित थॉमस की मृत्यु 

उसके बाद प्रेरित थॉमस मयलापुर पँहुचे जो कि तमिल नाडु में है। और वहाँ भी वैसा ही उन्होंने सेवकाई किया सुसमाचार प्रचार किया। और कई लोगो ने यीशु मसीह को स्वीकार किया। पर कई लोगों को यह अच्छा नही लगा और उन्होंने प्रेरित थॉमस को मार डालने का फैसला किया।

और प्रेरित थॉमस वहाँ से भाग कर खुद को एक छोटी पहाड़ी पर छुपा लिया था जिसको little Mount कहा जाता है। और लगभग 72 सदी में उन्होंने प्रेरित थॉमस को भाले से घोप कर मार डाला। आज उस जगह को Mount Thomas के नाम से जाना जाता है।


प्रेरित थॉमस का दफनाया जाना

प्रेरित थॉमस को सैन्थोम चर्च (Santhom Church) में दफनाया गया। सैन्थोम बेसिलिका (Santom Basilica) जो कि एक  ऐतिहासिक रूप से मरीन बीच (Marina Beech) के यहाँ मौजूद है। सैन्थोम बेसिलिका प्रेरित थॉमस के कब्र के ऊपर बना हुआ है।  


प्रेरित थॉमस पर डाक टिकट जारी किया गया था

2 दिसंबर 1964 को भारत के पोस्टल और टेलीग्राफ डिपार्टमेंट द्वारा प्रेरित थॉमस पर डाक टिकट जारी किया गया था। 










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